sidh kunjika - An Overview
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देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
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नमः कैटभ हारिण्यै, नमस्ते महिषार्दिनि।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं more info सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
No. Pratyahara usually means to deliver the senses within. That may be, closing off external perception. Stambhana fixes the notion inside of by holding the imagined however as well as the sense.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागधीश्वरी तथा।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ ५ ॥
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)